BA Semester-5 Paper-1 Physical Education - Athletic Injuries and Physiotherapy - Hindi book by - Saral Prshnottar Group - बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा - सरल प्रश्नोत्तर समूह
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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा

सरल प्रश्नोत्तर समूह

प्रकाशक : सरल प्रश्नोत्तर सीरीज प्रकाशित वर्ष : 2023
पृष्ठ :180
मुखपृष्ठ : पेपरबैक
पुस्तक क्रमांक : 2805
आईएसबीएन :0

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बीए सेमेस्टर-5 पेपर-1 शारीरिक शिक्षा - खेलकूद चोटें एवं कायिक चिकित्सा - सरल प्रश्नोत्तर

प्रश्न- अनुचित आसन के कारणों, प्रभावों एवं हानियों को विस्तार से समझाइये |

अथवा
अनुचित आसनों के कारण शरीर पर पड़ने वाले प्रभावों का वर्णन कीजिए।

उत्तर - 

अनुचित आसनों के कारण शरीर में विभिन्न प्रकार की विकृतियाँ उत्पन्न होती हैं। फलतः मनुष्य में उदासीनता, आलस्य, थकावट व हीन भावना बनी रहती है। अनुचित आसनों के कारण निम्नलिखित हैं-

(1) जन्मजात - कुछ बच्चों में जन्म से ही आसन सम्बन्धी विकृतियाँ पाई जाती हैं, जो उनके शरीर को बेढंगा व बेडौल बना देती हैं, जैसे- हाथ-पैरों का मुड़ा होना, कंधे झुके होना, कूबड़ होना, अववर्धन आदि अन्य प्रकार की कई विकृतियाँ कई कारणों से पैदा हो जाती हैं, जो शरीर की मुद्रा को बिगाड़ देती हैं।

(2) दुर्घटना या चोट के कारण - यदि शरीर के किसी अंग पर चोट लग जाए तो शरीर के भार का संतुलन बिगड़ जाता है। ठीक से चल फिर भी नहीं सकता और यदि चोट का उपचार सही समय पर न किया जाए तो उस अंग की आकृति बदल जाती है तथा उसमें दोष उत्पन्न हो जाता है और वह हमेशा के लिए रह जाता है।

(3) व्यवसाय के कारण - बहुत से व्यवसाय ऐसे हैं, जिनमें एक तरफ की माँसपेशियों का व्यायाम होता है तो शरीर का एक तरफ झुकाव होता चला जाता है। यदि उन माँसपेशियों को व्यायाम न दिया जाए तो गोल कंधे जैसे दोष उत्पन्न हो जाते हैं। इसी प्रकार के दूसरे व्यवसाय जैसे दर्जी की पीठ का दोष, माली, कमर पर भार उठाने वाला तथा मजदूर आदि। अतः कुछ व्यवसाय भी आसन को अनुचित रूप प्रदान करते हैं।

(4) पौष्टिक आहार का अभाव - पौष्टिक आहार से अभिप्राय सन्तुलित भोजन से है। असंतुलित भोजन अथवा कुपोषण से भी सूखा रोग बच्चे की अस्थियों का विकास रुक जाता है व माँसपेशियाँ कमजोर पड़ जाती हैं। शरीर को उचित मात्रा में ऊर्जा नहीं मिल पाती और शरीर में कमजोरी आ जाती है, जिससे विभिन्न प्रकार के कार्य करने के लिए अनुचित आसन का प्रयोग करना पड़ता है।

(5) बीमारी के कारण - कई बार बच्चों के खराब आसन का कारण लम्बी बीमारी भी हो सकती है। ऐसी अनेकों बीमारियाँ हैं जिनके कारण शरीर के अंगों में दोष उत्पन्न हो जाता है, जो शारीरिक मुद्रा पर प्रभाव डालती हैं। ऐसी कुछ बीमारियाँ हैं - हड्डी में सूजन, रिकेट्स (सूखा रोग), अधरंग, बहरापन व दमा आदि।

(6) अत्यधिक कार्य - अधिक कार्य, चाहे वह शारीरिक हो या मानसिक, थकान उत्पन्न करता है। कुछ समय बाद हमें आराम की आवश्यकता होती है, परन्तु लगातार अत्यधिक श्रम करते रहने से मनुष्य अनुचित साधनों का प्रयोग करने लगता है। वह काम को खत्म करने अथवा थकान को कम करने के लिए अनुचित शारीरिक मुद्रा का सहारा लेता है और धीरे-धीरे वह उस आकृति में ढल जाता है।

(7) मोटापा - शरीर का भार अधिक हो जाने पर शरीर में मोटापा बढ़ जाता है, जिससे शरीर के संचालन में बाधा पड़ती है तथा व्यक्ति अपने आप को असहाय समझने लगता है। चलने- फिरने में कठिनाई होती है। शरीर का संतुलन बनाए रखने के लिए पैरों को बाहर की तरफ निकालना पड़ता है जिससे घुटने अंदर की तरफ हो जाते हैं, जिससे Knock Knee का दोष हो जाता है। इसी के साथ शरीर के अधिक भार का प्रभाव उसके पैरों को चपटा बना देता है, जिसे Flat Foot चपटे पैर का दोष हो जाता है। अतः मोटापा अनुचित आसन का एक प्रमुख कारण है।

(8) कोमलता व नकल - यह महिलाओं में आमतौर से प्रचलित अन्धा-धुंध दौड़ है। स्वयं को नाजुक दिखाने के लिए चलते-बैठते समय अत्यधिक कोमलता का प्रदर्शन करती हैं, जो उनके गठन को बिगाड़ता है। बच्चे भी इसी प्रकार अपनी पसंद के किसी व्यक्ति अध्यापक अथवा हीरोइन आदि की नकल करते हैं। वे बिना कारण जाने उनके तरीकों को अपना लेते हैं, जो उनके शरीर की मुद्रा पर अनुचित प्रभाव डालता है।

(9) अनुचित वस्त्र व फैशन - फैशन के चक्कर में कई युवा व युवती शरीर को साधने का कोई विशेष ढंग अपना लेते हैं या बहुत तंग वस्त्र व जूते पहनते हैं, जो शरीर की स्वाभाविक गतिविधियों में बाधा डालते हैं। यहाँ तक कि चुस्त व तंग कपड़ों में साँस लेना भी मुश्किल हो जाता है तथा शरीर के अंगों को संकुचित होना पड़ता है। इसी के साथ युवा अवस्था में चुस्त कपड़ों के कारण शरीर के अंग प्रदर्शित भी होते हैं। उनको छुपाने के लिए कंधे आगे को झुकाने की आदत पड़ जाती है, जिससे चलने का ढंग व शरीर की मुद्रा दोनों में परिवर्तन आ जाता है।

(10) अनुचित फर्नीचर - स्कूलों में बच्चों की आयु या कद के अनुसार डेस्क या कुर्सी आदि के न होने से भी बच्चों में आसन सम्बन्धित दोष हो जाते हैं। छोटे बच्चों को कई बार डेस्क - व बेंच दोनों आपस में जुड़े होने के कारण बैठने में बड़ी असुविधा होती है। यदि वह आगे झुकता है तो ठीक से बेंच पर नहीं बैठ पाता और यदि पीछे बेंच पर बैठता है तो आगे डेस्क के लिए झुकना पड़ता है। इस प्रकार अनुचित फर्नीचर भी शारीरिक विकृतियों को जन्म देता है।

(11) अनुचित समय सारणी - स्कूल की सभी कक्षाओं की समय सारणी यदि एक ही होगी तो छोटे बच्चों को अधिक लम्बी अवधि तक बैठना पड़ेगा जो उनके नाजुक शरीर में मुद्रा दोषों का कारण बनता है। अतः पूर्ण विद्यालय की समय-सारणी प्राइमरी व माध्यमिक कक्षाओं की अलग-अलग होनी चाहिए। इसके बीच के अन्तराल में बच्चों के मनोरंजन, आराम आदि का प्रावधान होना चाहिए।

(12) गलत दण्ड देना - कभी-कभी अध्यापक की सजा देने का ढंग भी अनुचित आसन का कारण बन जाता है। काफी समय खड़े रहना, मुर्गा बनाना, लम्बे समय तक हाथ ऊपर करके खड़े होना आदि दण्ड खराब आसन के लिए उत्तरदायी है।

(13) भारी बस्ते - आजकल बच्चों के बस्तों में अधिक भार होता है, जिससे वे उन्हें उठाने में असमर्थ होते हैं, वे उन्हें कन्धों या पीठ पर उठाते हैं जिससे वे आगे को झुक कर चलते हैं या कन्धों को एक तरफ झुकाते हैं। ऐसा प्रतिदिन करना भी बच्चों में अनुचित आसन का कारण बनता है।

अनुचित साधनों को दूर करने के उपाय - स्कूलों में अध्यापकों का कर्त्तव्य होता है कि बच्चों को शिक्षा देने के साथ-साथ उनके शरीर की सुयोग्यता व पुष्टि पर भी ध्यान दे। इसके लिए बच्चों को सही शारीरिक आसनों का प्रयोग कराने के लिए उनका उचित मार्गदर्शन करें। बच्चों के अनुचित आसनों को दूर करने और उचित आसनों की आदत डालने के लिए निम्न प्रयास किये जा सकते हैं-

(1) पौष्टिक भोजन का ज्ञान देना व स्कूल में उसकी व्यवस्था करना।
(2) बच्चों को सही मुद्रा का ज्ञान व अभ्यास करवाना।

(3) बच्चों का बोझ कम करके भी हम बच्चों को अनुचित आसन से बचा सकते हैं। इसके लिए स्कूलों में ही गृह-कार्य करवाकर उन विषयों की पुस्तकें व कॉपियाँ स्कूल में रखी जा सकती हैं, जिससे बच्चों के बस्तों का वजन हल्का होगा और कंधों पर अनुचित बोझा नहीं पड़ेगा और आसन ठीक रहेगा।

(4) थकान और तनाव के हर सम्भव कारण जैसे बहरापन, आँखों पर दबाव आदि का विश्लेषण और निवारण किया जाना चाहिए।

(5) कुछ कारणों का निवारण किया जाना भी आवश्यक हैं, जो आसन को प्रभावित करते हैं, जैसे- दोषपूर्ण व्यावसायिक अभ्यास, दोषपूर्ण बैठने का स्थान, तंग व दोषपूर्ण वस्त्रं व जूते।

(6) कक्षा में आगे बैठने की सीटें ऐसे बच्चों के लिए आरक्षित रखें जो अल्प दृष्टि या ऊँचा सुनते हैं या ऐसे दोषों से पीड़ित हैं।

(7) जन्मजात विकृतियों के लिए छात्रों को विकलांगों के अस्पताल में जाने के निर्देशन देना व ऐसी व्यवस्था करवाना।

(8) स्कूलों में उचित फर्नीचर की व्यवस्था बच्चों की आयु व कद के अनुसार ताकि बच्चे ठीक से बैठ सकें।

(9) स्कूली गतिविधियों में समय-समय पर परिवर्तन करने से बच्चों को ज्यादा देर तक एक स्थिति में नहीं बैठना पड़ेगा। इसके लिए स्कूल समय-सारणी में भी पीरियड ज्यादा लम्बे नहीं होने चाहिए।

(10) कमरों में प्रकाश एवं वायु की उचित व्यवस्था होनी चाहिए ताकि बच्चों को पढ़ाने, श्यामपट्ट देखने आदि में असुविधा न हो। बच्चे उचित स्थिति में बैठकर शिक्षा ग्रहण करते हैं तो आसन ठीक रहता है।

(11) शिक्षकों द्वारा बच्चों को गलत शारीरिक सजा नहीं देनी चाहिए जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हो।

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    अनुक्रम

  1. प्रश्न- खेलों में लगने वाली सामान्य चोटों के विषय में आप क्या जानते हैं?
  2. प्रश्न- खेलों के दौरान चोटों की रोकथाम करने के सामान्य सिद्धान्त क्या हैं?
  3. प्रश्न- खेलों में चोट की अवधारणा से आप क्या समझते हैं?
  4. प्रश्न- खेलों में लगने वाली सामान्यतः चोटों के दो कारणों का उल्लेख कीजिये।
  5. प्रश्न- स्पोर्ट्स फिजियोथेरपी से आप क्या समझते हैं?
  6. प्रश्न- खेल चिकित्सा विज्ञान से आपका क्या अभिप्राय है?
  7. प्रश्न- एथलेटिक चोटों से आपका क्या अभिप्राय है? यह कितने प्रकार की होती हैं?
  8. प्रश्न- ट्रॉमेट्रिक इंजरी से आप क्या समझते हैं? इसके अन्तर्गत कौन-कौन सी चोटें आती हैं?
  9. प्रश्न- अवधि के आधार पर चोटें क्या हैं? यह कितने प्रकार की होती हैं?
  10. प्रश्न- ऐंठन (Cramp) से क्या अभिप्राय है? इसके क्या कारण हैं?
  11. प्रश्न- सनबर्न (Sunburn) से आपका क्या अभिप्राय है? इसके प्रमुख लक्षण और होने वाली समस्याओं का वर्णन कीजिये?
  12. प्रश्न- चोट लगने के क्या लक्षण होते हैं?
  13. प्रश्न- चोट लगने के जोखिम के प्रमुख कारक कौन-से हैं?
  14. प्रश्न- खेल में चोट से क्या तात्पर्य है। इसके विभिन्न भेदों का वर्णन कीजिए।
  15. प्रश्न- खेल चोटों के प्रकारों को स्पष्ट करते हुए डिसलोकेशन व स्प्रेन के कारण, लक्षण व उपचार का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  16. प्रश्न- सामान्य खेल चोटों के उपचार पर टिप्पणी लिखिए।
  17. प्रश्न- खेल में चोटों के प्रकार पर टिप्पणी लिखिए।
  18. प्रश्न- मुख्य खेल चोटें कौन-सी हैं? संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  19. प्रश्न- खेल चोटें पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  20. प्रश्न- खेलों में चोटें क्या होती है?
  21. प्रश्न- स्नायुबंधन मोच से आप क्या समझते है? इसके लक्षण व निदान का वर्णन कीजिये?
  22. प्रश्न- मांसपेशिय तनाव से आप क्या समझते हैं? मांसपेशिय तनाव के कारण और निवारण से संक्षिप्त लेख लिखें।
  23. प्रश्न- टेण्डन और लिंगामेन्ट में क्या अन्तर है?
  24. प्रश्न- कन्धे की अकड़न (फ्रोजन शोल्डर) से आपका क्या अभिप्राय है? इसके लक्षणों का वर्गीकरण कीजिये?
  25. प्रश्न- पीठ (पीछे) के तनाव से आप क्या समझते हैं?
  26. प्रश्न- टेनिस एल्बो से आपका क्या अभिप्राय है? टेनिस एल्बो के लक्षण और निदान का संक्षिप्त वर्णन कीजिये।
  27. प्रश्न- गोल्फर की कोहनी क्या है? इसके कारण, लक्षण और निदान पर संक्षिप्त प्रकाश डालिये?
  28. प्रश्न- टेनिस एल्बो और गोल्फर एल्बो में क्या अन्तर है?
  29. प्रश्न- "धावक का घुटना" से आपका क्या अभिप्राय है? इसके लक्षणों और उपचार को समझाइये?
  30. प्रश्न- पिंडलियों में दर्द से आपका क्या अभिप्राय है? इसके कारण व लक्षणों का वर्णन कीजिये?
  31. प्रश्न- फफोले क्या हैं? इनसे बचाव के उपाय बताये?
  32. प्रश्न- छालों से आप क्या समझते हैं? छालों के कारण, लक्षण और बचाव के सामान्य उपायों को समझाइये?
  33. प्रश्न- रक्त गुल्म क्या है? इसके कारण और लक्षणों पर प्रकाश डालिये?
  34. प्रश्न- प्राथमिक सहायता से आपका क्या अभिप्राय है? इसके क्षेत्र व आवश्यक सिद्धान्तों की विवेचना कीजिए।
  35. प्रश्न- प्राथमिक सहायक (चिकित्सक) के कर्त्तव्यों का वर्णन कीजिए।
  36. प्रश्न- प्राथमिक सहायक के गुणों पर विस्तृत टिप्पणी लिखिए।
  37. प्रश्न- एक प्राथमिक सहायता देने वाले के रूप में आप अपने मित्र की निम्न स्थितियों में कैसे सहायता करेंगे? (1) मोच (3) घाव (2) हड्डी का टूटना (अस्थि भंग) (4) सर्प दंश या साँप का काटना।
  38. प्रश्न- रक्त स्त्राव के बाह्य और आंतरिक कारणों पर प्रकाश डालिए। आप इसके लिए प्राथमिक सहायता कैसे देंगे? स्पष्ट कीजिए।
  39. प्रश्न- खिंचाव व मोच से आप क्या समझते हैं? इसकी विस्तृत विवेचना कीजिए।
  40. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सा में उपचार की प्राथमिकताओं का उल्लेख करते हुए इनके आवश्यक उपकरणों का वर्णन कीजिए।
  41. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सा की परिभाषा एवं अर्थ स्पष्ट करते हुए एक अच्छे प्राथमिक चिकित्सक के गुणों का वर्णन कीजिए।
  42. प्रश्न- 'प्राथमिक चिकित्सा' को परिभाषित कर उसके मुख्य घटकों का उल्लेख कीजिये तथा शारीरिक शिक्षा एवं खेलकूद में प्राथमिक चिकित्सा की अपरिहार्यता पर समालोचनात्मक मत प्रकट कीजिये।
  43. प्रश्न- प्राथमिक उपचार का अर्थ एवं परिभाषा स्पष्ट कीजिए।
  44. प्रश्न- प्राथमिक सहायता से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  45. प्रश्न- प्राथमिक सहायता की आवश्यकता व महत्व को स्पष्ट कीजिए।
  46. प्रश्न- प्राथमिक सहायता के क्षेत्र का उल्लेख कीजिए।
  47. प्रश्न- अस्थि भंग का उल्लेख कीजिए।
  48. प्रश्न- अस्थि-विस्थापन पर टिप्पणी कीजिए।
  49. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सक के गुणों का वर्णन कीजिए।
  50. प्रश्न- प्राथमिक चिकित्सक की प्राथमिकताएँ स्पष्ट कीजिए।
  51. प्रश्न- हड्डी उतरने पर प्राथमिक चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
  52. प्रश्न- W.H.O. पर टिप्पणी लिखिए।
  53. प्रश्न- आसन से आप क्या समझते हैं? अच्छे आसन की उपयोगिता की विवेचना कीजिए।
  54. प्रश्न- अनुचित आसन के कारणों, प्रभावों एवं हानियों को विस्तार से समझाइये |
  55. प्रश्न- आसन सम्बन्धी विकृतियों से आप क्या समझते हैं? आसन सम्बन्धी विकृतियों के कारण तथा उनके उपचार का वर्णन कीजिए।
  56. प्रश्न- लार्डोसिस तथा सपाट पाँव के कारणों का उल्लेख कीजिये तथा इन्हें दूर करने के लिए उपचारात्मक व्यायामों का वर्णन कीजिये।
  57. प्रश्न- उचित आसन के क्या लाभ हैं? स्पष्ट कीजिए।
  58. प्रश्न- उचित आसन एवं अनुचित आसन से आप क्या समझते हैं? अनुचित आसन से हानियाँ स्पष्ट कीजिए।
  59. प्रश्न- अनुचित आसन के प्रमुख कारणों का उल्लेख कीजिए।
  60. प्रश्न- अग्रकुब्जता या धँसी हुई कमर विकृति पर एक संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  61. प्रश्न- निम्नलिखित पर टिप्पणियाँ लिखिए
  62. प्रश्न- आसन को समझाते हुए आसनीय विकृतियों के नाम लिखिए।
  63. प्रश्न- पीठ दर्द क्या है? पीठ दर्द क्यों होता है? इसके उपचार को सरल शब्दों में समझाये।
  64. प्रश्न- गर्दन के दर्द से आपका क्या अभिप्राय है? इसके कारण, उपचार और प्रमुख योगासन का वर्णन कीजिये।
  65. प्रश्न- अनुचित मुद्रा से कौन-कौन से विकार उत्पन्न हो जाते हैं?
  66. प्रश्न- अनुचित मुद्राओं को कैसे सुधारें?
  67. प्रश्न- सामान्य मुद्रा में सुधार के उपायों का वर्णन कीजिये?
  68. प्रश्न- अनुचित मुद्रा क्या है? इसके लक्षण बताइये।
  69. प्रश्न- पुनर्वास को परिभाषित करते हुए इसके उद्देश्य एवं क्षेत्र की व्याख्या कीजिए।
  70. प्रश्न- चोट पुनर्वास से आप क्या समझते हैं? विस्तृत विवेचना कीजिए। चोट पुनर्वास की विधियों पर टिप्पणी लिखिए।
  71. प्रश्न- खेल चोट पुनर्वास में ठण्डी चिकित्सा (क्रायोथेरेपी) की तकनीक व प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  72. प्रश्न- आर. आई. सी. ई. से आप क्या समझते है?
  73. प्रश्न- DRABC से आपका क्या तात्पर्य है? इसके चरणों का वर्णन कीजिये?
  74. प्रश्न- शीत चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
  75. प्रश्न- पुनर्वास क्या है? पुनर्वास काउंसिल ऑफ इंडिया का रोल स्पष्ट कीजिए।
  76. प्रश्न- चोट पुनर्वास के लक्ष्य स्पष्ट कीजिए।
  77. प्रश्न- पट्टियों के प्रकार की विस्तृत विवेचना कीजिए।
  78. प्रश्न- टैपिंग क्या है? इसके उद्देश्य, और सिद्धान्तों का संक्षेप में वर्णन कीजिये।
  79. प्रश्न- इलास्टिक चिकित्सीय टेप क्या है?
  80. प्रश्न- कायिक चिकित्सा' शब्द को परिभाषित कीजिए और इसके सहायक सिद्धान्तों को विस्तार से लिखिए।
  81. प्रश्न- शारीरिक शिक्षा के क्षेत्र में 'कायिक चिकित्सा' का क्या महत्त्व है?
  82. प्रश्न- कायिक चिकित्सा का अर्थ स्पष्ट कीजिए।
  83. प्रश्न- कायिक चिकित्सा के महत्त्व का वर्णन कीजिए।
  84. प्रश्न- प्रतिरोधी व्यायाम को स्पष्ट करते हुए इसकी तकनीकी का वर्णन कीजिए।
  85. प्रश्न- मालिश से क्या समझते हैं? मालिश के सामान्य विचारों के बारे में संक्षेप में वर्णन कीजिए।
  86. प्रश्न- मालिश के प्रकार को दर्शाते हुए किन्हीं चार प्रकारों का विस्तृत वर्णन कीजिए।
  87. प्रश्न- मालिश के प्रभाव से आप क्या समझते हैं? शरीर के विभिन्न अंगों पर पड़ने वाले प्रभाव का वर्णन कीजिए।
  88. प्रश्न- मालिश के निम्न प्रकारों पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए-
  89. प्रश्न- मालिश का परिचय दीजिए।
  90. प्रश्न- मालिश के संक्षिप्त इतिहास का वर्णन कीजिए।
  91. प्रश्न- रगड़ पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  92. प्रश्न- मालिश के रक्त संचरण व पेशी तंत्र पर पड़ने वाले प्रभाव को लिखिए।
  93. प्रश्न- मालिश के सिद्धान्त पर टिप्पणी लिखिए। मालिश के सिद्धान्त क्या हैं?
  94. प्रश्न- मालिश के प्रतिषेध से आप क्या समझते हैं? स्पष्ट कीजिए।
  95. प्रश्न- खेलों में मालिश पर संक्षिप्त टिप्पणी लिखिए।
  96. प्रश्न- जल चिकित्सा का अर्थ एवं इसका उपयोग स्पष्ट कीजिए।
  97. प्रश्न- शीत चिकित्सा या क्रायोथ्रेपी से आप क्या समझते हैं? शीत चिकित्सा की उपचार तकनीक और इलाज में उपयोग एवं प्रभाव की विवेचना कीजिए।
  98. प्रश्न- थर्मोथैरेपी उपचार के परिचय और प्रदर्शन के बारे में लिखिए।
  99. प्रश्न- थर्मोथैरेपी पर टिप्पणी लिखिए।
  100. प्रश्न- सौना स्नान का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  101. प्रश्न- ठंडा और गर्म स्नान पर टिप्पणी लिखिए।
  102. प्रश्न- 'भंवर स्नान' चिकित्सा विधि का उल्लेख कीजिए।
  103. प्रश्न- भाप स्नान से आप क्या समझते हैं? इसके लाभ का संक्षिप्त वर्णन कीजिए।
  104. प्रश्न- विद्युत चिकित्सा एवं अवरक्त चिकित्सा से आप क्या समझते हैं? इन्फ्रारेड किरणों के साथ चिकित्सा उपचार का वर्णन कीजिए।
  105. प्रश्न- डायथर्मी चिकित्सा से आपका क्या अभिप्राय है? डायधर्मी के प्रकार का वर्णन कीजिए।
  106. प्रश्न- पराबैंगनी किरणों से आप क्या समझते हैं? परागबैंगनी किरणों के द्वारा उपचार का वर्णन कीजिए।
  107. प्रश्न- विद्युत चिकित्सा पर टिप्पणी लिखिए।
  108. प्रश्न- अल्प तरंग डायथर्मी का वर्णन कीजिए।
  109. प्रश्न- इन्फ्रारेड किरणों का लाभ स्पष्ट कीजिए।
  110. प्रश्न- शार्ट वेव डायथर्मी के उपयोग को स्पष्ट कीजिए।
  111. प्रश्न- उपचारिक व्यायाम के क्षेत्र और वर्गीकरण की विवेचना कीजिए।
  112. प्रश्न- उपचारिक व्यायाम को परिभाषित कीजिए और इसके सिद्धान्तों एवं नियमों की विवेचना कीजिए।
  113. प्रश्न- मांसपेशियों के पुनर्वास और मजबूती के लिये योग आसन के साथ चिकित्सीय महत्व का वर्णन कीजिये।
  114. प्रश्न- योग में पुनर्वास क्या है? समझाइये?
  115. प्रश्न- उपचारिक व्यायाम के विभिन्न उद्देश्यों का वर्णन कीजिए।
  116. प्रश्न- उपचारिक व्यायामों का प्रभाव स्पष्ट कीजिए।
  117. प्रश्न- प्रतिरोधी व्यायाम से आप क्या समझते हैं? प्रतिरोधी व्यायाम की तकनीक को स्पष्ट कीजिए।
  118. प्रश्न- मुक्त व्यायाम की संक्षिप्त विवेचना कीजिए।
  119. प्रश्न- पुनर्वास क्या है इसकी आवश्यकता किन रोगों में होती है?
  120. प्रश्न- योग हमारे जीवन को किस प्रकार प्रभावित करता है?
  121. प्रश्न- ताड़ासन का संक्षेप में वर्णन कीजिये?
  122. प्रश्न- कुक्कुटासन की विधि और लाभ वर्णन कीजिये।

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